tag:blogger.com,1999:blog-5086968167781527748.post2517849564825903553..comments2023-04-16T20:51:20.456+05:30Comments on prayas: मुखौटेbeenahttp://www.blogger.com/profile/14896206958431731712noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5086968167781527748.post-42919478943857700542010-04-11T16:53:45.052+05:302010-04-11T16:53:45.052+05:30जीवन का शायद सबसे विचित्र सत्य यही है ! हर व्यक्ति...जीवन का शायद सबसे विचित्र सत्य यही है ! हर व्यक्ति मुखौटे चढ़ाए जी रहा है और मुखौटे चढ़ाए हुए लोगों को ही पसंद करता है ! जिस दिन सबके मुखौटे उतर जायेंगे कोई किसीसे मिलना नहीं चाहेगा ! सामाजिकता का शायद यही तकाजा है ! हर मुखौटे के पीछे एक वीभत्स, बदरंग और कुरूप चेहरा छिपा होता है ! सुन्दर रचना !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.com