tag:blogger.com,1999:blog-5086968167781527748.post6026205946334003337..comments2023-04-16T20:51:20.456+05:30Comments on prayas: अध्यापक शिक्षा और मूल्य बोधbeenahttp://www.blogger.com/profile/14896206958431731712noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5086968167781527748.post-17472791176160765762012-03-12T11:55:33.481+05:302012-03-12T11:55:33.481+05:30अध्यापक शिक्षाअध्यापक शिक्षाAvinash Guptahttps://www.blogger.com/profile/12711553090778176684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5086968167781527748.post-5329372414808092882010-03-29T20:20:58.273+05:302010-03-29T20:20:58.273+05:30सीखना अपने लिये है दूसरे के लिए नहीं।सीखना अपने लिये है दूसरे के लिए नहीं।janki jethwanihttps://www.blogger.com/profile/05043315438446703629noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5086968167781527748.post-63861982473274778962010-03-23T16:06:43.610+05:302010-03-23T16:06:43.610+05:30बहुत ही प्रभावी और सार्थक आलेख ! आपने बिलकुल सत्य ...बहुत ही प्रभावी और सार्थक आलेख ! आपने बिलकुल सत्य कहा है "आज हम मशीन तो हुए हैं पर मनुष्यता कहीं बहुत पीछे छूट गयी है!" शिक्षा का उद्देश्य केवल अति एडवांस रोबोट्स का उत्पादन करना नहीं होना चाहिए वरन समाज में मानवीय मूल्यों की स्थापना एवं एक सकारात्मक परिवर्तन ला सकने में सक्षम बुद्धिजीवियों को प्रशिक्षित करना होना चाहिए ! इतने विचारपूर्ण एवं तर्कसंगत आलेख के लिए बधाई !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5086968167781527748.post-55697600271754107892010-03-21T13:54:05.911+05:302010-03-21T13:54:05.911+05:30नीचे लिख आ रहा है कि
आपकी टिप्पणी प्रकाशित कर द...नीचे लिख आ रहा है कि <br />आपकी टिप्पणी प्रकाशित कर दी गई थी.<br />लेकिन टिप्पणी नही दिख रही.<br />खैर वीणा जी शिक्षा से जुशे मूल्यो पर अपने बहुत ही बढिया आलोचनात्मक नज़र डाली है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5086968167781527748.post-47528518226559382312010-03-19T18:56:20.838+05:302010-03-19T18:56:20.838+05:30जे. कृष्णमूर्ति के शब्दों में –"जानकारी इकठ्ठ...जे. कृष्णमूर्ति के शब्दों में –"जानकारी इकठ्ठा करना और तथ्यों को बटोरकर आपस में मिलाना ही शिक्षा नहीं है,शिक्षा तो जीवन के अभिप्राय को उसकी समग्रता में देखना-समझना है|-----पूर्णत: समन्वित प्रज्ञाशील मनुष्य तैयार करना है|परीक्षा और उपाधि प्रज्ञा का मानदंड नहीं है|" पूरी तरह सहमत हूँ. शिक्षित और समझदार होना दो अलग-अलग स्थितियाँ हैं.दिव्य नर्मदा divya narmadahttps://www.blogger.com/profile/17701696754825195443noreply@blogger.com