Tuesday, May 5, 2009

अपना बचपन याद करें


याद आता है मुझे अपना बचपन जब पिताजी के कन्धोंपर बैठ कर मेला देखने जाती थी,पिताजी की पीठ पर बैठ कर यमुना नदी में तैरना सीखती थी।मां परियों की कहानी सुनाकर हमें प्यार से सुलादेती  थीऔर सुबह उठ्ने पर अपने तकिये के नीचे मिठाई देख कर मुझे पूरा विश्वास हो जाता था कि रात को परी मेरे पास जरूर आई होगी।पूरा दिन मैं खुश खुश रहतीऔर रात का इंतजार करती।

वो दिन भी क्या दिन थे जब इतने प्यार से हम बच्चों को पाला जाता था।पिताजी की कम आमदनी मेंभी हमेंवह सब कुछ मिला जो हमने चाहा।सच मैं बहुत भाग्यशाली हुंजो मुझे माता पिता का भरपूर प्यार मिला।

पर आज जब बच्चों को प्यार के लिये तरसते और मांपिता के गालियां सुनते देखते हुंतो मन को बहुत चोट लगती है

\ऐसे सभी बच्चोंको मेरा बहुत बहुत प्यार।मेरे दुनिया मेंसभी बच्चोइं का बहुत बहुत स्वागत ह 

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