Sunday, March 20, 2011

होली का आना

कब से तो बाट जोह रहे थे तेरी होली कि तू जल्दी से आजा| कितने रंग है जो तेरी प्रतीक्षा में सूखे जा रहे है|अरे साल भर का त्यौहार होता है बर्षों से सुनते आरहे है कि कमसेकम आज केदिन तो सब पुरानी दुशम नी भुला कर गले मिलजाना चाहिएऔर गाना भी गाते है कि दुश्मन भी गले मिल जाते है और फिर एक और रसिया के बोल कान में पड़ते हैं आज ब्रज में होली में रसिया| सारे के सारे टी वी चेनल दिन रात होली के रंगारंग प्रोग्रामों से अटे पड़े है |जो वास्ताविक हो ली नहीं खेल पारहे वे अपनी हाईटेक की आभासी दुनिया में मस्त है| बाजार भी भरे पूरे है| मतलब होली अपने पूरे आगाज के साथ आई है| कल होलिका दहन पर पूरी कोलोनी वाले इकठ्ठे तो हुए |सबने मिलबांटकर प्रसाद भी खाया और आज सुबह भी पार्कमें दूसरों पर गुलाल अबीर चन्दन लगाते लगा कि बस सब आपसी वैरभाव भुलादिए गए है बस अब तो रामराज्य आया ही समझो | मन खुश हो गया चलो इतने सालो बाद ही सही अब होलीहोली सी तो लगी पर ये सब तो मैं सपना देख रही थी |नीद टूटी तो देखा तो सब रोज जैसा ही था |थोड़ी देर के लिए सबने मुखौटे पहन लिए थे| सब हंसने और खुश होने का नाटक कररहे थे |दरअसल ये लोग गले नहीं मिल रहे थे बस औपचारिकता पूरी कर रहे थे और बहने वे तो दस कदम आगे थी |एक दूसरे के मुँह से तीसरे की बातें की जा रही थी| कोई इस से ही संतुष्ट था कि चलो अब कम सेकम मिल तो रहे है |धीरे -धीरे सब ठीक हो जाएगा| इस पूरे आयोजन में एक ऐसा व्यक्ति भी थी जो मिस्टर मखीजा के यहाँ किराए पर आया था |उसने अभी-अभी अपना गाँव छोड़ा था और उसके मन में अपना अतीत हिलोरे मार रहा था | जब हम तथाकथित कहे जाने वाले सभी लोग अपने होलीमिलन समारोह में मस्त् थे तो वह्सज्जन बहुत गंभीरता से हमारेव्यवाहार को नोट कर रहा था | अभी कुछ देर पहले ही त्रिपाठी उठ कर गया है और कुछ ऐसे सवाल मेरी बैठक में छोड़ गया है जिनके उत्तर मैं खोज रही हूँ |बिट बीन द लायन जो उसने अनुभव किया उसी के शब्दों में रख रही हूँ -दीदी क्या आपको ऐसा नहीं लगा कि सब लोग एक डिस्टेंस मेंटेन कर रहे थे?आपस में सौहार्द नहीं था और कोई किसी के गले तो मिला ही नहीं |बस माथे पर गुलाल लगाकर औपचारिकता पूरी कर ली गई| न कोई हंसा न किसी ने ठिठोली कि और सभी यह कहते हुए अपने -अपने घरों में चले गए कि टीवी पर कार्यक्रम आरहा होगा| किसी को मेच देखाना था तोकिसी को अपने मन पसंद सीरियल छूट जाने का भय सता रहाथा | न तो आप लोगो ने कोई होली गाई और नहीं आपसी संवाद हुए| आपके यहाँ ऐसे ही होती है होली| इसी को कहते है आप होली मिलन समारोह|उससे अच्छा तो मुझे आपके यहाँ बैठकर लगा जहां आपने और सर ने होली से जुड़े इतने सारे तथ्य तो उजागर किए | दीदी जो हम पांच के मध्य आज हुआ कल पचास के बीच क्यों नहीं घट पाया | यदि सारे बुजुर्ग नई जनरेशन को होली का औचित्य समझा पाते तो आज के ये नन्हे मुनन्ने कम से कम अपनी संस्कृति से परिचित तो हो पाते | जब मैंने धीरे से अपनी बात रखी भी तो सभी ने उसे हंसी में उड़ा दिया- अरे त्रिपाठी ये सब तो टीवी सीरियलों से बच्चे जान ही लेते हैं |फिर गूगल सर्च करके सब जान जाते है |रही बात होलीगाने की तो सब सीडी में मिलता है| इस सबसे तुम इतने परेशान क्यों हो| दुनिया को दुनिया की तरह लेना सीखो|
सच ही कह गया वह नवागत कि जब सब कुछ रेडीमेड मिलने लग गया है तो हमारे बच्चे भी हमें रेडीमेड व्यवहार देने लगे तो न तो हमें व्यथित होना चाहिए और न हीं हमें अपसंस्कृति का रोना रोना चाहिए|

2 comments:

  1. सही लिखा आप ने आज सब ऎसा ही तो हो रहा हे. धन्यवाद

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