चलो आज फिर से परिचित हुआ जाए 
उन छूटे लम्हों को छू लिया जाए 
खो गए थे जो कहीं भीड़-भाड में 
और उग आये थे केक्टस हमारी राह में |
अब जब दिन निकला है सूरज जागा है 
वासन्ती हवा की छुअन और मीठी सी यादें 
सब कुछ तो याद हो आया है |
चलो आज फिर कहीं दूर खूब दूर निकल चलते हैं 
और जी आते हैं अपने पुराने दिन 
फिर से नए और ताजा होने के लिए|
 
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