बन बहुमूल्य रत्न पडा,आज गले में शान से
मत भूलो वो भी निकला है,अंधियारे की खान से
दिन में जिसे कोइ न पूछे,उसे पहचान मिली अंधियारे से
कठिनाई आये तो संघर्ष करो, मत बैठो तुम हारे से
जीवन में कठिनाई क्या आई,दुर्भाग्य बता कर कोस रहे
घुटने मत टेको लड जाओ,बाद में न फिर अफसोस रहे
आहा। कितना सौभाग्य है उसका,जिसने कठिनाई पाई है
कठिनाई ही तो जीवन को,उच्च शिखर पर लाई है
बिना संघर्ष के कुछ पाना,जीत नहीं एक मात है
तूफानों से लडे जो कश्ती,उसमें आखिर कुछ बात है
सुनहरी चमक पाने के खातिर ,सोने ने दी परीक्षा है
कठिनाई हमारी मित्र है,यही इस कविता की शिक्षा है।
डां वरूण भारद्वाज के सौजन्य से प्राप्त
बिना संघर्ष के कुछ पाना,जीत नहीं एक मात है
ReplyDeleteतूफानों से लडे जो कश्ती,उसमें आखिर कुछ बात है
yeh lines baht achchi lagin..........
poori kavita bahut hi inspirative hai.......
बिना संघर्ष के कुछ पाना,जीत नहीं एक मात है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर्
बिना संघर्ष के कुछ पाना,जीत नहीं एक मात है
ReplyDeleteतूफानों से लडे जो कश्ती,उसमें आखिर कुछ बात है
सुनहरी चमक पाने के खातिर ,सोने ने दी परीक्षा है
कठिनाई हमारी मित्र है,यही इस कविता की शिक्षा है।
प्रेरणा देती बहुत सुन्दर कविता बहुत बहुत बधाई दीपावली की शुभकामनायें
बहुत सुन्दर है।कठिनाई आए तो संघ्रर्ष करो,कठिनाई को आमंत्रित न करो।
ReplyDeleteEXCELLENT ONE
ReplyDeleteGOOD FOR MOTIVATION
VERY MUCH REALITY ABOUT LIFE