Sunday, November 1, 2009

सब कुछ अच्छा ही होता है।

विपरीत परिस्थिति में ही व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है। कहने को तो ये उपदेश सुनने का सबसे बेहतर समय होता है।आप आप नहीं रहते बल्कि एक सब्जेक्ट बन जाते हैं जिस पर प्रयोग किये जासकते है।पिछले दो माह से मैं स्वयम इस स्थिति से गुजर रही हूं। कभी-कभी मुझे लगने लगा कि मेरे हाथ -पैर बांध दिये गये हैं और मैं इंच भर भी नहीं हिल सकती।इन दिनों मैंने खूब पढा और पढाही नहीं कुछेक बातों को तो अमल में भी लाई।और देखा कि जिन्दगी का हर पल खूब शिद्दत से जीना चाहिये।दर असल जिन्दगी में करने के लिये इतना कुछ है कि आप कभी रुक ही नहीं सकते।हां,यह आपको ही निशिचय करना होता है कि आप कौन सी दिशा चुने। आप कठिनाई को पहाड समझे या उसे जिन्दगी का एक अहम हिस्सा माने।जिन दिनों मैं अस्वस्थता की शिकार रही,उन दिनों ही मैंने सीखा कि मुस्कराकर आप अपना दर्द ही कम नहीकरते बल्कि सामने वाले के मन में भी उत्साह

का संचार कर देते हैं।इन दिनों मुझे बच्चों को नजदीक से देखने और समझने का अवसर मिला।कितनीकितनी बातें होती है उनके पास जिसे वह आपके साथ शेअर करना चाहते है। मेरे अच्छे मित्र हमेशा मुझे सकारात्मक सुझाब देते रहते है। और अब तो मैंने दर्द के साथ जीना भी सीख लिया है। आज बहुत दिनों बाद लिख रही हूं लेकिन अब नियमित लिखूगीं।

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