Sunday, January 3, 2010

जैसी हरि इच्छा

सब बातों का अंत यही है

मानव कीसीमा यहीहै

कर सकते थे हम जो उपाय 

कर बैठेथक हार भी बैठे

 हो गये अब निरुपाय

अब जो अच्छा होगा

यही सोच हम चुप हो बैठे

भगवन अब तो आना होगा

अपना रूप दिखाना होगा

हाथ धनुष तो लाना होगा

उपदेश तुम्हें तो देना होगा




2 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना है। नये साल की शुभकामनायें

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  2. ईश्वर सबकी सहायता करते हैं । और मुझे पूरा विश्वास है आप उनकी सबसे प्रिय हैं क्योंकि मुझे आपमें अबु बेन एदम की छवि दिखाई देती है । साभार ।

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