Sunday, May 9, 2010

माँ तो बस माँ होती है|

मेरी हो या उसकी हो

माँ तो बस माँ होती है|

बेटे की हो या बेटी की 

संतान बुरी हो या अच्छी हो 

माँ तो बस माँ होती है|

उसका आँचल बहुत बड़ा है

सब कुछ उसमें आजाता है 

कुपूत -सपूत  वह नहीं जानती 

माँ तो बस माँ होती है|

सबको अपनी छाँव ही देती 

तपन आग की वह सह लेती

खुद भूखी रहकर भी 

पेट सभी का भर देती  है 

माँ तो बस माँ होती है|

याद बहुत आती है माँ की 

जब वह पास नहीं होती है

पर यह भी उतना ही  सच है

छोड़ हमें  कहीं नहीं जाती है

माँ तो बस माँ होती है|

होता होगा माँ का दिन भी 

मुझे समझ में  नहीं आता है 

जिसने मुझको जन्म दिया है

पाला-पोषा बड़ा किया है

संस्कारों से मुझे बुना है

वो मुझसे क्या यह चाहेगी

एक दिवस पर याद करू मैं 

बाद में उसको विस्मृत कर दूं 

मेरा तो हर दिन ही अपनी

उस माँ के चरणों में नत है 

माँ तो बस माँ होती है |

जननी,पालिता,धाय कह लो

सौतेली और मम्मी कह लो 

मम्मा कह लो  मोम  बना लो 

फिर भी वह तो माँ  होती है 

माँ तो बस माँ होती  है|

तेरी- मेरी ,इसकी- उसकी 

जिसकी -किसकी होती होगी 

फरक  नहीं पड़ता है माँ को 

माँ तो बस माँ होती है|

8 comments:

  1. संसार की समस्त माताओं को नमन

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  2. मातृ-दिवस की बहुत-बहुत बधाई
    bahut sundar rachna

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  3. माँ तो बस माँ होती है|
    माँ को नमन

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  4. कुपूत -सुपूत वो नहां जानती,कुमाता-सुमाता वो नहीं होती वो तो बस माँ होती है।

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  5. सुन्दर काव्य रचना के लिए बधाई!
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    माँ के चरणों तले भू-गगन है।
    माँ के चरणों तले ही अमन है॥
    और की क्या करूँ वन्दना मैं-
    मातृवन्दन ही भगवत्‌ भजन है॥
    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

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