Tuesday, August 31, 2010

माँ ,तुझे सलाम |

आज माँ को गुजरे दो वर्ष बीत गए|माँ |कहाँरहती हो आजकल ?क्या अपने बच्चे याद नहीं आते ?हम बच्चे तो हर क्षण तुम्हारे भाव में ही जीते है है |छुटकी कहती है _माँ तो हमेशा मेरे दिल में है , जब भी कभी परेशानी में होती हूँ माँ तुरंत ढाढस बंधाने आ जाती है |वाकई माँ ,तुम हमेशा उपस्थित रहती हो बस दिखाई नहीं देती |कितनी तो बाते हैजो तुम्हें बताना चाहते है ,तुमसे राय लेना चाहते है |माँ तुम तो बड़ी दूरदर्शी निकली| सच ही यदि शिक्षा का हथियार हाथ में नहीं देती तो कितने असहाय हो जाते है हम |किस तरह संस्कारित कर पाई हमें/ हम तो बहुत रूठे,मटके होंगे पर तुम्हारे दृढ निश्चय के चलते तुम्हारी संताने इस सांचे में ढल सकी |कैसे आसानी से सब कर लेती थी |हम तो अपने बच्चों के आगे कैसे असहाय हो जाते हैं|भोले भंडारी पिता के साथ कैसे घर गृहस्थी को निभा लेगई |जब आप कहती थी तब हमेंअहसास भी नहीं था कि जिंदगी इतने रंग दिखाती है |आपके द्वारा कथा-कहानियों के रूप में बताए गए तथ्य कब जीने का आधार बन गए जान ही न पाए |पर माँ एक बात जो जरुर कहना चाहूंगी ये सत्य का मार्ग है बड़ा कटीला|बेईमानी और दुष्टता का परचम लहरा रहा है और सत्य एक कोने में दुबका ढेर सारे कष्टों के साथ सिसक रहा है| पर मन है कि सत्य का दामन नहीं छोडना चाहता |माँ इस संसार से विदा होते वक्त तुमने आशीर्वाद दिया था -बिटिया सदैव फलो-फूलो |मै तो बस इस आशीष के सहारे हूँ |
और माँ एक बात और कहानी थी तुम्हारी बिटिया की बगिया खूब फल-फूल रही है |आँगन में नन्हे-मुन्नों की किलकारी गूँज रही है |बस सारा दिन ये शिशु मुझे जीने की ढेरो वजह दे जाते है|सब ठीक चल रहा है|और
क्या लिखू ,तुम्हारी पारखी नजरे तो सब परख लेती है |
माँ की दूसरी पुण्यतिथि पर
तेरी सभी संताने

1 comment:

  1. आपकी हृदयस्पर्शी पाती मन को द्रवित कर गयी ! जाने कितने हिमपिण्ड बन चुके भाव अंदर ही अंदर पिघल कर बहने लगे ! माँ से सब कुछ कह डालने की लालसा रखना, उनसे हर समस्या के समाधान सुझाने की अपेक्षा करना, सब कुछ याद आ गया ! माँ बेटी का रिश्ता शायद सभीके लिए इसी तरह अन्योन्याश्रित होता है ! बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति ! बधाई !

    ReplyDelete