Monday, June 8, 2009

मन एक पारसमणि है।

जितम जगत केन,मनोहियेन,यजुर्वेद के इस मंत्र का अर्थ है जो मन को जीत लेता है वह सबको जीत लेता है।कृषण अर्जुन से कहते हैंमन बहुत चंचल होता है।यह मन एक कल्पवृक्ष की तरह होता है।इसके नीचे बैठ कर जो भी कामना की जाती है, वह पूरी होती है।जब मन प्राथना मेंनही होता, तब प्रार्थना बेकार हो जाती है।मन को अभ्यास और वैराग्य से वश मेंकिया जा सकता है।स्वामी विवेकानन्द कहते हैं"मन जितना निर्मल होगाउसे वश मेंकरना उतना ही सरल होगा।मनुश्य का स्वास्थ्य उसकी अंतर्मन की स्वास्थ्य सम्बन्धी उत्तम भावना पर  निर्भर करता है।

आज जिस प्रकार का जीवन मनुश्य जी रहा है,उसमे मनुश्य को तनाव मेंरखने वाले दर्जनोस्रोत है।इस तनाव मुक्ति के लिये इन उपायोंको किया जा सकता है-

हंसे और प्रसन्न रहे।

लीक से हटिये।

अतिरिक्त वाश्प निकलजाने दें।
चिंताओ को एक सीमा मेंरखें।


दूसरोंसे अपना ताल्मेल बिठाये।

मन को अनाव्रत करें।

शिथिलीकरण तनाव दूर करने का सरल तम उपाय है।

मन को अपने अनुकूल आचरणकरने के लिये बाध्य करें।

              ये कुछ छोटे-छोटे उपाय हैं जिनकोअपना कर्तनाव को कम किया जा सकता है।








2 comments:

  1. बीना जी बहुत बहुत धन्यवाद इन सुन्दर मोतिओं के लिये

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