एक व्यक्ति के चारों और का माहौल
बस प्यार और प्यार से आच्छादित
फ़िल्में देखता है तो बस प्यार से भरी
साहित्य पढ़ता है तो वही प्रेम की बातें
प्रेम कथाओं का इतना बड़ा समुन्दर
अखबार इन्हीं खबरों से लबरेज हैं
और हर पत्रिका का कवर पेज
किसी न किसी प्रेम में डूबी
नायिका के चित्र से सज्जित |
ऐसे माहौल में जिंदगी के बीस बरस बिता
जब हो जाता है प्यार
और लगने लगती है दुनिया रंगीन
परदे की बातें बनती है जीवन का सच
और जैसे ही शुरुआत होती है
उन लम्हों की जिन्हें जीवन का
सबसे खूबसूरत लम्हा कहा जाता है |
अचानक बदलने लगती है दुनिया
पता नहीं कहाँ गुम हो जाताहै
प्रेम का साहित्य,चुक जाते है विद्यापति
खो जाती हैं प्रेम कथाएं
और चारों और से होने लगता है
आक्रामक व्यंग्यों का हमला
अब बताया जाने लगता है उसे वासना
और न जाने क्या-क्या |
ये सब इतना जल्दी घटता हैकि
प्यार करने वाले समझ ही नहीं पाते
कि जो कल मूवी देखी थी
देवदास,हम आपके है कौन
और बहुत सी प्रेम में ें डूबी तहरीरें
क्या सब बकबास थी
तो क्यों रचा जा रहा था ऐसे बकबास
प्यार का माहौल
क्यों बनाई जा रही थी ऐसी
झूठी पिक्चरें और क्यों रच रहे थे
ऐसा साहित्य |
जबाब दिया जा रहा था
अरे वह तो बस देखने और
पढने के लिए था
ये सब सच थोड़े ही ना होता है
बस देखो पढ़ो और भूल जाओ |
अब तुम ही बताओ मेरे मित्र
कैसा है ये प्रेम |
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अचानक बदलने लगती है दुनिया
ReplyDeleteपता नहीं कहाँ गुम हो जाताहै
प्रेम का साहित्य,चुक जाते है विद्यापति
खो जाती हैं प्रेम कथाएं
चुके हुए के बीच जो नहीं चुका उसे ही तलाशना है
बहुत...बहुत साधुवाद! बहुत ही अच्छा विषय उठाया है-आपने। इस विषय की चर्चा मैंने अपने ब्लाग पर "है बड़ी ठगनी : मीडिया की माया" शीर्षक के अन्तर्गत विस्तार से की है। कृपया देखें।
ReplyDeletesaba kuchh timepass hai aajkal.
ReplyDeleteइसका अर्थ तो यह हुआ कि उन दोनों के बीच प्रेम उपजा ही नहीं था ! प्रेम को अपनी सत्यता सिद्ध करने के लिये विद्यापति के गीतों या रोमांटिक उपन्यासों और फिल्मों में उसके प्रतिरूप ढूँढने की ज़रूरत नहीं पड़नी चाहिए ! वह वास्तविक जगत में चाहे फलीभूत हुआ हो या न हुआ हो मन के एक कक्ष में स्थाई रूप से निवास करता है ! उसके लिये यह भी आवश्यक नहीं कि उसे प्रकट किया जाता है या नहीं ! लेकिन शर्त यही है कि वह विशुद्ध प्रेम होना चाहिए किसी भी प्रतिदान की अपेक्षा से परे !
ReplyDeleteआज का प्रेम तो सच में ऐसा ही हो गया है...करो और भूल जाओ. इन पिक्चरो ने तो सारा कल्चर ही बदल डाला है.
ReplyDeleteअच्छी रचना.