कहने को अलफाज नहीं ,
शब्दों के आगार नहीं है|
कह-कह कर मन घट रीता ,
उम्मीदों की थाह नहीं है |
अपना सा सब हम कर बैठे,
सीमा अपनी खत्म हो चुकी |
दे दी अब तो अंतिम अरजी ,
भविष्य हमारा उज्जवल होगा
सुन लेगा विश्वास बढ़ेगा ,
आस्था का संसार बनेगा|
बोल -बोल कर मौन हो चुके ,
वीणा के सब तार सो गए |
अब अपना विश्वास बढा है ,
जो भी होगा हित में होगा |
घटा अंधेरी छंटने वाली ,
नया सवेरा आता होगा|
अब अपना विश्वास बढा है ,
ReplyDeleteजो भी होगा हित में होगा |
घटा अंधेरी छंटने वाली ,
नया सवेरा आता होगा
bahut sundar panktiyaan ,achchhi rachna .
बोल -बोल कर मौन हो चुके ,
ReplyDeleteवीणा के सब तार सो गए |
अब अपना विश्वास बढा है ,
जो भी होगा हित में होगा |
घटा अंधेरी छंटने वाली ,
नया सवेरा आता होगा|
....अच्छी प्रस्तुति......
http://laddoospeaks.blogspot.com/
आशा और आत्मविश्वास से परिपूर्ण एक सुन्दर रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteयही विश्वास बनाए रखिए।
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