Tuesday, September 1, 2009

मां की प्रथम पुण्य तिथि पर्

अगर लूं इस धरती पर जन्म दोबारा
मां तू ही देना अपना प्यार सारा
यूं तो वर्ष भर पहले छोड दिया साथ
पर जीवन के हर पल में तुम रहती हो मेरे पास
तुम जाने वाली थी फिर भी पूछा मेरा हाल
बचपन से अब तक की कितनी घटनायें आती हैयाद
मा6 का जीवन में होना क्या होता है
अब और समझ आया है तेरे जाने के बाद

तुम कहती ठीक जब ऊपर जाना होगा
बताउगींवहां क्या-क्या होता है
तब तुम्हारी बातों पर हंसती थी मैं
लेकिन अब मां एक बार बता देती कैसी है वहां।
क्या देख पाती हो कितना तरसते हैं तेरे लिये
यूं तो बहुत खुश हूंअपने घर में
पर तेरे पास जाना कराता था
मुझे मां का अहसास ।

तुम्हारी बात याद है"दीदी में देखना मुझे"
करती भी हूं ऐसा ,दीदी भी मानती है मुझे बेटी
पर दिल में छुपी तेरी यादें
बार -बार लौटाती हैं मुझे पीछे

फिर से तेरे दिय्रे संसकारों को समेटे
बढती हूं राह में आगे
तेरी भूमिका में उतरने की कोशिश करती हूं
और रखती हूं तुझे सदा अपने पास

मां का खोना क्या होता है
समझ पाई हूं तेरे जाने के बाद

प्यारी बहिन अनुपम सारस्वत के सौजन्य से

1 comment:

  1. बीना जी आपने तो रुला दिया बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति हैब क्या कहूँ माँ जी को विनम्र श्रधाँजली

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