बचपन से अब तक
प्रतीक्षा ही तो करते आये है
कभी मनचाही वस्तु मिलने की
तो कभी अच्छे अंक आने की |
कभी फर्स्ट आने की
तो कभी मनचाहा जॉब मिलने की
कभी देश भ्रमण की
तो कभी सज्जनो की संगत की |
और अब भी
उम्र के इस मोड पर
प्रतीक्षा ही तो कर रहे है |
खुशहाल जीवन की
संतति के उज्जवल भविष्य की
ब्रद्धों के स्वास्थ्य लाभ की
और अपनी जीवनमुक्ति की |
करते ही रहे है हम
प्रतीक्षा ,प्रतीक्षा और
अनवरत प्रतीक्षा
कभी न खत्म होने वाली प्रतीक्षा
और अब
कुछ ही पलो में
खत्म हो जायेगी ये प्रतीक्षा
क्योंकि जब सब कुछ
समाप्त होने कों है
तो कैसी प्रतीक्षा
और क्यों प्रतीक्षा |
ये सब तो जीवन रहने तक है
प्रतीक्षा ,प्रतीक्षा और मात्र प्रतीक्षा |
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प्रतीक्षा वो सिलसिला है जो खत्म नही होता
ReplyDeleteजीवन से पहले और मरने के बाद भी चलता है
एक इंतजार अपने साथ दूसरे इंतजार को लाता है
प्रतीक्षा वो सिलसिला है जो खत्म नही होता
प्रतीक्षा वो इच्छा है जो सासों के साथ चलती है
वक्त के साथ बस अपने रूप बदलती रहती है
प्रतीक्षा वो सिलसिला है जो खत्म नही होता
हमे भी आपके अगले ब्लाग की प्ततीक्षा रहेगी ताकि हमारा आपका सिलसिला बना रहे
जब तक साँस है तब तक आश है|
ReplyDeleteबहुत सच्ची बात कही है आपने ! ना जीवन में कभी प्रतीक्षा का अंत होता है ना ही कभी आशा और विश्वास मंद पड़ते हैं ! यही जिजीविषा हमें घनघोर निराशा के पलों में भी जिलाए रखती है ! बहुत सशक्त अभिव्यक्ति ! बधाई एवं आभार !
ReplyDeleteGood poen
ReplyDeleteBeena ji, kavita achchi hai. magar aapse anurodh hai k pratiksha karne k bajaye aap sirf dekhne ki koshish kare. Kyoki pratiksha karna to bara dushkar hota hai. ROMY SOOD
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