Sunday, November 14, 2010

आज हम खूब नाचेंगे गायेंगे ।

आज्चाहचा का जन्म दिन है इसे बाल दिवस भी कहते है तो यह हमारा जनदिन हुआ ना ।दीदी तो कह रही थी कि आज तुम्ह्रए कोई नही डांटेगा ,आज तुम केवल मस्ती करोगे ,आज केवल प्यार ही प्यार मिलेगा पर मैन तो जब से उठा हू मान बात -बात पर नाराज हो रही है कभी कहती है आज तो छुट्टी है अभी सेकहा चल दिया जुल्फे काढ कर एक दिन तो मिला है ये तो है नही कि कुछ घर मे काम-धाम करे । मा आज बालदिवस है ना आज तो मै गाना गाऊंगा मुझे राजा बनना है और पता है मा मिठाई भी मिलेगी ।बस बस भाई को सम्भाल बहुत हो गई तेरी बकबक ।और पिताजी ने तो सुबह से ही मूद खराब कर दिया चल देती रोज बस्ता लेकर स्कूल् जायेगी। अरे घ का काम काज देख चार कोठियो मे काम कर । पिताजी पर आज तो बाल दिवस है ना । तो ,ऐसे नेताओ के जन्म दिन तो रोज होते है हमे उससे क्या चुप चाप बोरी उठा और कबाडा चुन कर ला , दोपहर बाद लकडी चुन कर भीलानी है।अरे होंगे कोई चाचा नेहरू ,होता होगा बच्चो का बाल दिवस यहा तन ढकने के लिए कपडे नही खाने के लिए भर पेट भोजन नही मिलता छोटा रोज बिना दूध के ही सोजाता है । पर पिताजी कम से कम आज तो मुझे मत डांटिए ।
आज तो सब उल्टा पुल्टा हो गया । लो और अब ये पिताजी के दोस्त और आगए ।बस ये दोनो बैठ कर ठर्र्रा पीयेंगे और ताश खेलेगे। मन गया मेरा तो बाल दिवस । बस अब सारा दिन घर मे बैठो और इनकी चिक-चिक सुनो। अरे आज स्कूल खुला होता तो कम से कम दीदी नेहरू चाचा की बात तो बता ती नही तो मै पुस्तकालय की रंगीन किताबो को पढ लेता । बस कर दी छुटी और मन गया हमारा बाल दिवस।
सोनू को देखो कैसा तैयार होकर इतरा रहा है । और सब बच्चे हाथो मेन मिठाई के पेकिट लेकर आ रहे है। अगली बार तो मै अपना स्कूल बदल लूंगा । कर दी बाल दिवस पर छुट्टी । मैने तो सोचा था कि आज स्कूल मे खूब सारे गाने गारता और सब मुझे प्यार से कहानी सुनाते पर अब क्तया हो सकता है । चाचा नेहरू आप हीमेरी बात सुन लो । क्या आपको अच्छ लग रहा है कि आज किसी बच्चे की आंखो मे आंसू हो नही ना फिर मेरे मा-पापा को समझादो ना कि आज बाल दिवस है आज तो सब्को मेरी ही बात माननी चाहिए पर ये बडे लोग हमे कही और कभी बडा मानने के लिए तैयार नही । बस्जब देखो इनका ही कहना मानो , अपने मन से कुछ मत करो। अब जल्दी से सुबह हो ,स्कूल खुले तो मै तीचर जी से कह दूंगा देखो दीदी, ये बाल दिवस पर छुट्ती बुट्टी मत करा करो। अब देखो ना मा ने एक बडा सा बोतरा कन्धे पर रख दिया और कह दिया कि जा और लकडिया चुन कर ला ,तभी तो रोटी बनेगी। और देखो मेरे दोस्त की बहिन भी उसे डांट रही हैकि क्यो समय खराब कर रहा है बोरा उठा और कबाडा बीन । तू समझता क्यो नही हम बच्चो के लिए कोई बाल्दिवस विवस नही होता । हमे तो रोज एक ही चिंता करनी है कि पेत कैसे भरे । देख रे तूने ज्यादा तीन पांच की तो कल से स्कूल जाना भी बन्द हो जायेगा ।
अब समझ आया कि ये बाल दिवस हमारेलिए नही है । अच्छा तो वो दूसरे बच्चे होंगे जिनके लिए बाल दिवस होता होगा । कोई बात नही जब मै मर कर चाचा के पास जाऊंगा तो पूछूंगा जरूर क्यो चाचू ,आप भी बच्चो मे भेद भाव करते हो । उस के लिए बाल दिवस और हमरे लिए काम दिवस।

1 comment:

  1. बिलकुल सही कटाक्ष। बाल दिवस की शुभकामनायें।

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