Wednesday, June 9, 2010

सुख-दुःख

जीवन में जब दुःख आया
घनघोर अन्धेरा घिर आया
लेकिन इस अन्धेरें में भी
बहुत कुछ नजर आया |

नजर आयी अपनी कमजोरी
पक्के रिश्तों की कच्ची डोरी
दुनिया के मेले में
सुन्दर मन और सूरत भोरी |

दुःख कभी बर्बाद न जाए
जीवन में कुछ नया सिखाये
किसी कोने में कहीं छिपे
उन गुणों को सामने लाये|

बाद में सुख जब आता है
ईश्वर में विश्वास बढाता है
सुख और दुःख के आने से
जीवन का मतलब आता है|

प्रिय बेटा वरुण के सौजन्य से

7 comments:

  1. अच्छी रचना ... जीवन के उतार चढ़ाव बताती हुई

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  2. सुख और दुख दोनों जीवन के महत्वपूर्ण पहलू हैं..बिना इनके जीवन कहाँ....बढ़िया रचना..धन्यवाद

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  3. bakhubi shabdo me dhaala he zindgi k utar chadaav ko. sashak shabd diye he rachna ko.

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  4. बहुत सुन्दर रचना! अच्छी लगी वरुण की लेखनी.

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  5. वाह वाह

    प्रस्तुति...प्रस्तुतिकरण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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  6. वाह वाह

    प्रस्तुति...प्रस्तुतिकरण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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