कितनी बार तो समझाया है
पर हर बार भूल ही जाती हो
कि तुम एक लड़की हो|
किताबों में जो कुछ लिखा है
और जो तुमने पढ़ा है
वह तो किताबों का सच है|
बस याद करने और परीक्षा में
पास होने और उपाधि लेने के लिए |
तुम्हारा एम.ए.,बी.ए. होना
डिग्री लेने के लिए अच्छा है
पर उसे व्यवहार में लाने से
सामाजिक व्यवस्था बिगड़ती है |
पगली लड़की ,इतनी भी नहीं समझती
नौकरी वौकरी तब तक ही ठीक लगती है
जब तक स्वीकृति मिले |
ये तुम्हारा अपना स्वतंत्र निर्णय नहीं
और दो चार किताबें क्या पढ़ ली
फ़िल्में क्या देख ली प्यार करने
चल पड़ी|
अरी बेबकूफ ये सब
े भले घर की लड़कियों को
शोभा नहीं देता |
माँ -बाप की बदनामी होती है|
और तू है कि किताबों का हवाला दिए
जारही है|
कहाँ सर छुपाये तेरा बूढा बाप
और माँ तो मर ही जायेगी |
और कैसे होगी तेरे भाई-बहिनों की शादी
पगली ,पड़-लिख,पर उतना ही
बोल ,जिससे घर बना रहे |
ये रीजनिग ,मनोविज्ञान सब
वाहियात बातें है
क्या कहा तू अब बड़ी अफसर बन गई है |
पर बहना , घर में तेरा दर्जा अभी वही है
पहली क्लास बाला ,अभी तो तू ककहरा सीख |
और ये लड़का ,जो आज तुझे
हवा में झूला रहा है
ये तो उसके मुंगेरीलाल के सपने हैं
जो सुनने में हसीन जरूर लगते हों
पर जल्दी ही बिखर जाते हैं|
फिर एक बार सुन
और हमेशा याद रख कि
तू एक लड़की भर है|
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इसे प्रतिकार कहा जाए या फ़िर स्वीकर!
ReplyDeleteएक सोच में डुब गया इस प्रस्तुति को पढकर.....
लड़्की होना यानि सबकुछ खोना
ReplyDeletetouching
ReplyDeleteआज भी कहीं कहीं यही सोच उभरती है...जब लड़कियों पर अत्याचार होता है...वो सुरक्षित नहीं होतीं...इसमें बेटियों के प्रति एक माँ की चिन्ता झलक रही है
ReplyDeleteफिर एक बार सुन
ReplyDeleteऔर हमेशा याद रख कि
तू एक लड़की भर है|
बिल्कुल सटीक .. लडकी की यही स्थिति है !!
nice
ReplyDeleteआपकी सोच और चिंता में कहीं न कहीं मुझे अपनी चिंता की प्रतिध्वनि सुनाई देती है ! 'तू एक लडकी भर है' की ज़िल्लत और तोहमत कब तक लडकियां सहेंगी ? जैसे लडकी होना कोई अपराध है, शर्मिंदगी का बायस है ! एक विचारणीय एवं मंथन के योग्य रचना ! मेरी बधाई स्वीकार करें !
ReplyDeleteहमें इस सोच को मिटाना है,समय तो लगेगा पर झुकना नहीं है,मिट भले जाएं पर झुकेंगे नहीं।
ReplyDeleteतुम्हारा एम.ए.,बी.ए. होना
ReplyDeleteडिग्री लेने के लिए अच्छा है
पर उसे व्यवहार में लाने से
सामाजिक व्यवस्था बिगड़ती है
बहुत ही सच और गहरी बात जही है बीना ज्वी