Wednesday, June 23, 2010

दीप सब अब बुझ गये है

आंख के आंसू सूख गये है
दीप अब सब बुझ गये है
हो गई है रात काली
चान्द भी अब छिप गया है
पैर मेरे थम गये है
चाल मद्धिम हो गई है

रहा न अब कोई उपाय
हो गये हम है हम निरुपाय

एक तेरा आसरा है
सहारा न दूसरा है
क्या अभी कुछ और् बाकी
जो मुझे ही देखना है
अब ना जो आये प्रभूजी
नाम तेरा बदनाम होगा
कुछ ना बिगडेगा हमारा
जो भी तेरा होगा

हम तो तेरे भक्तहै बस
और कुछ ना जानते है
अब जो होगा वो ही होगा
सोच जो तूने रखा है।

अब क्या करना हमको करना

जो भी करना तू ही करना

बस इसी मे है भलाई
मौन मन अब हो गया है।

2 comments:

  1. दिल को छू जाने वाली रचना ! ईश्वर आपके सदैव सहायक रहें यही प्रार्थना है !

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